Saturday, September 28, 2013
राईट टू रिजेक्ट अपर्याप्त कदम
कोर्ट का आदेश केवल उस प्रक्रिया को पुनः जीवित करता है जो बालोट मत में यह प्रावधान रखा गया था की यदि आप इनमे से किसी को अपना मत नहीं देना चाहते हैं तो लिखित में देना होता था यहाँ पर एक हस्ताक्षर आपकी गोपनीयता को भंग करता है परन्तु वोटिंग मशीन में यह आप्शन हटा दिया गया था जो को संविधान के अनुच्छेद 1 9 का उल्लंघन है जो अभिव्यकि की सवतंत्रता देता है .अब इस अधिकार का प्रयोग गोपनीय तरीके से किया जायेगा इसके अलावा चुनावी प्रक्रिया में कोई फर्क नही पड़ने वाला चूँकि कितने भी कम वोट पड़े परन्तु बहुमत को विजयी घोषित किया जावेगा .बेहतर होगा यदि नकारात्मत मत पचास शत से अधिक होने पर पुनह चुनाव का प्रावधान हो परन्तु यह कार्य संसद का है कोर्ट का नहीं देखना होगा क्या पार्टिया इसके लिए एक मत होती हैं?
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